गिलगित बालस्टिस्तान पर पाकिस्तान की राजनीति का कोई अर्थ नहीं है और उसे भारत के अंदरूनी मामलात में दखल दिए बिना अपने देश के विकास के लिए और घाटी में आतंकवाद रोकने पर कार्य करना चाहिए। यह बात आज भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन ‘मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया’ यानी एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शुजात अली क़ादरी ने कही।
क़ादरी ने कहाकि गिलगित बालस्टिस्तान भारत का हिस्सा है और पाकिस्तान इस क्षेत्र को राज्य का दर्जा देकर अपने लिए औऱ मुसीबत पैदा कर रहा है। पाकिस्तान कश्मीर घाटी, गिलगित और बालस्टिस्तान पर लगातार कूटनीतिक पराजय से बौखला गया है। हाल ही में सऊदी अऱब ने गिलगित बालस्टिस्तान को पाकिस्तान के नक्शे से हटा दिया था और पिछले दिनों रियाद में पाकिस्तान के दूतावास को भी कश्मीर को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी। यह पाकिस्तान के लिए गिलगित बाल्टिस्तान को लेकर हताशा की स्थिति है। इस परिस्थिति के बाद विश्व कूटनीति में कश्मीर के अन्तरराष्ट्रीयकरण से विफल पाकिस्तान बौखलाई हरकतें कर रहा है।
कादरी ने कहाकि पाकिस्तान को समझना चाहिए कि कश्मीर घाटी, गिलगित और बाल्टिस्तान का मुद्दा दोतरफा है और उसे भारत के साथ बैठकर क्षेत्र के मुद्दों को आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि पाकिस्तान ने गिलगित बाल्टिस्तान को राज्य का दर्जा देकर अपनी समस्याओं में इज़ाफा ही किया है।
कादरी ने कहा कि पूरे पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के विरुद्ध प्रदर्शन चल रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह जनता का ध्यान भटकाने के लिए गिलगित बाल्टिस्तान का राजनीतिकरण कर रहे हैं। वह देश में जारी शिया सुन्नी आतंकवाद के लिए भी भारत को दोषी ठहरा रहे हैं लेकिन वह भूल रहे हैं कि देश में व्याप्त आतंकवाद को रोकने में विफल पाकिस्तान सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
उन्होंने याद दिलाया कि पिछले महीने की आठ तारीख को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और स्टूडेंट लिबरेशन फ्रंट ने पाकिस्तान सरकार के विरुद्ध मुज़फ्फराबाद शहर में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। यह दोनों संगठन भी गिलगित बाल्टिस्तान को अलग राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध कर रहे हैं।
एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहाकि पाकिस्तान यह सब चीन के दबाव में कर रहा है क्योंकि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का गिलगित बाल्टिस्तान चीन से मिलता है और चीन चाहता है कि कश्मीर से अलग पहचान देकर वह इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बना सकता है। चीन का ‘वन बेल्ट रोड इनिशिएटिव’ भी गिलगित बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है। उन्होंने पाकिस्तान को नसीहत दी कि सन् १९४७ में कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय हो चुका है और भारत की मांग पर कार्यवाही करते हुए पाकिस्तान को कश्मीर, गिलगित और बाल्टिस्तान से अपना कब्जा समाप्त कर देना चाहिए।
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