मसलके आला हज़रत हमारी पहचान है : एमएसओ ऑफ इंडिया

कौशाम्बी: उर्से आला हज़रत के मौके पर एम० एस० ओ० कौशाम्बी यूनिट की और से नबी खाना हाल मंझनपुर में जश्ने रज़ा आयोजित किया गया। इस मौके पर मौलाना अब्दुर्रहमान मिस्बाही साहब ने बताया कि आला हज़रत हमारे इमाम है जिन्होंने हमारे ईमान की हर हर मैदान में हिफाज़त की है साथ ही ये भी बताया कि इमाम अहमद रज़ा ने कभी भी ईमान का सौदा नही किया जो भी दीन की खिदमात की वो सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए किया।

मौलाना अंजुम रज़ा हक़्क़नी से अपना ख़िताब कलामे आला हज़रत से शुरू किया और बताया कि आला हज़रत की शायरी का जवाब नहीं, उस वक़्त के बड़े बड़े शायर भी आला हज़रत की इज़्ज़त किया करते थे और ये भी बताया कि आला हज़रत सिर्फ एक आलिम नहीं थे बल्कि साईंस में भी बढ़ी महारत रखते थे।

मौलाना ज़की उल्लाह मिस्बाही साहब ने एम० एस० ओ० का परिचय करते हुए बताया कि ये तंजीम अहले सुन्नत वल जमाअत की वह तंज़ीम है जिसकी सरपरस्ती हुज़ूर अमीन मियां मारहरा शरीफ़ कर रहें है और ये मसलके आला हज़रत पर चलती है! तंजीम के विभिन्न कार्यों में एक कार्य यह भी है कि मुस्लिम वर्ग के छात्रों को शिक्षा की ओर प्रेरित करना, सामाजिक बुराइयों को दूर करना, गरीब लोगों की मदद करना, भूखों को खाना खिलाना,और सबसे अहम काम ईमान व अकीदा की हिफाज़त करना है ये कट्टरवाद का विरोध और सूफीवाद का सपोर्ट करती है साथ ही अपने तक़रीर में आला हज़रत के इल्मो अमल पर भी रोशनी डाली।

प्रोग्राम की निज़ामत इमरान हबीबी ने की जिन्होंने अपनी शायरी से महफ़िल को बांध रखा था, जिसकी सरपरस्ती मौलाना अबरार मिस्बाही ने की और क़ारी रिज़वान, स्वलेहीन रज़ा और असग़र रज़ा इलाहाबादी ने नातो मनकबत से लोगों का दिल जीता।

महफ़िल में हसन अली एहसानी (अध्यक्ष एम० एस० ओ० कौशाम्बी), मुसर्रत अली ( संयुक्त सचिव एम० एस० ओ० कौशाम्बी ) शोएब अख्तर उर्फ ज़ैन ( खजांची एम० एस० ओ० कौशाम्बी ), मो० क़ासिम ( कैम्पस एम० एस० ओ० कौशाम्बी ), ज़ीशान फ़ारूक़ी, कैफ़ू, शहेंशाह आदि लोग मौजूद रहें।

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