नई दिल्ली: मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसएसओ) ने रविवार को ‘सामुदायिक अधिकारिता रणनीति और भविष्य की योजना’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया। जिसमे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के मल्लपुरम सेंटर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ शाहनवाज़ अहमद मलिक मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए।
वेबिनार को संबोधित करते हुए डॉ शाहनवाज मलिक ने बताया कि यदि कोई समाज आर्थिक, सामाजिक, शेक्षणिक और राजनीतिक रूप से कमजोर और पिछड़ा हुआ है तो उसे सामुदायिक अधिकारिता के जरिये ही मुख्यधारा में शामिल किया जा सकता है। आज मुस्लिम समाज के हालात सभी के सामने है। यदि मुस्लिम समाज को मुख्यधारा में शामिल होना है तो उसे अपने नौजवानों, बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों सभी की जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करना होगा।
उन्होने कहा कि आज हमे जकात के सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। ताकि जकात की आमदनी का बेहतर तरीके से उपयोग किया जा सके। मस्जिदों-मदरसों को लर्निंग सेंटर बनाना होगा। जो समाज को सही राह दिखा सके। गरीब लोगों को बिना ब्याज के ऋण देने के लिए सहकारिता बैंक की स्थापना करनी होगी। जिससे वह सूद के चंगुल से बच सके। युवाओं में फ़ेल रही नशा, जुआ आदि बुराइयों को दूर कर उन्हे सुनहरे भविष्य की और अग्रसर करना होगा।
वहीं एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद मुदस्सिर (रिसर्च स्कॉलर, JMI) ने कहा कि आजादी के बाद बँटवारे ने मुस्लिम समाज को काफी नुकसान पहुंचाया। मुस्लिम समाज से जुड़ा संभ्रांत वर्ग पाकिस्तान चला गया और पीछे गरीब-पिछड़े मुसलमानों को छोड़ गया। आज देश का मुसलमान की स्थिति दलित से बदतर है। सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट इस बात पर मुहर लगा चुकी है। उन्होने कहा कि मुसलमानों को आज मुख्यधारा में आने के लिए खुद को भी मेहनत करनी होगी। उन्होने कहा कि मुसलमानों को हर क्षेत्र में खुद को मजबूत करना होगा। वेबिनार में देश के अलग-अलग राज्यों से छात्रों, बुद्धिजीवियों, समाज सेवकों आदि ने हिस्सा लिया।