एमएसओ के राष्ट्रीय वेबिनार में मुस्लिमों के पद्म पुरस्कार प्राप्ति को बताया सकारात्मक

नई दिल्ली: मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसएसओ) ने शुक्रवार को पद्म पुरस्कार और मुस्लिम प्रतिनिधित्व – एक सकारात्मक लहर विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया। जिसमे मुख्य वक्ता मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद से प्रो. मोहम्मद फरियादी (विभागाध्यक्ष, जनसंचार एवं पत्रकारिता), जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, जयपुर से डॉ अखलाक अहमद उस्मानी शामिल हुए।

वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रो. मोहम्मद फरियादी ने सर्वप्रथम पद्म पुरस्कार के इतिहास से अवगत कराया। उन्होने कहा कि पद्म पुरस्कार की शुरुआत 1954 में की गई थी। जिसकी घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस पर की जाती है। पुरस्कार को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री। ये पुरस्कार विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किया जाता है।

वहीं डॉ अखलाक अहमद उस्मानी ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह पुरस्कार आम नागरिकों को न केवल सम्मानित कर रहा है। बल्कि समाज के प्रति किए गए उनके असाधारण कार्यों और विशिष्ट उपलब्धियों को देश और दुनिया के सामने ला रहा है।

उन्होने अयोध्या के रहने वाले मुहम्मद शरीफ का जिक्र किया और बताया कि कैसे उन्होने सुल्तानपुर में बेटे की मौत के बाद करीब 3 हजार हिन्दू और 2 हजार मुस्लिमों के लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया। उन्होने कहा कि जिस कार्य के लिए शरीफ चाचा का मजाक उड़ाया जाता था। आज राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने से उनका मनोबल बढ़ा और अन्य लोगों को भी सीख मिली।

इसके अलावा वेबिनार के मेजबान मज़हर सुब्हानी (संयुक्त सचिव MANNU) ने देश भर से जुड़े बुद्धिजीवियों, छात्रों, समाजसेवकों आदि का धन्यवाद किया।

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