नई दिल्ली: मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एमएसओ) ने गुरुवार को ‘इस्लामिक इतिहास में महिलाओं की भूमिका’ पर ट्विटर स्पेस आयोजित किया। जिसमे सैकड़ों की संख्या में लोगों ने देश-विदेश से हिस्सा लिया।
ट्विटर स्पेस में स्पीकर अबू सईद मिस्बाही ने ‘इस्लामिक इतिहास में महिलाओं की भूमिका’ पर रोशनी डालते हुए कहा कि इस्लाम के आने से पहले महिलाओं की स्थिति दयनीय थी। महिलाओं को केवल एक उपभोग की वस्तु समझा जाता था। महिलाओं को न तो कोई आजादी थी और नहीं अधिकार। महिलाओं को गुलामों की तरह रखा जाता था। बच्चियों को पैदा होते ही जिंदा गाड़ दिया जाता था। एक मर्द कई-कई विवाह करता था। महिलाओं की इज्जत और आबरू भी सुरक्षित नहीं थी। लेकिन इस्लाम के आने के बाद महिलाओं की स्थिति में पूरी तरह से बदलाव आ गया।
पैगंबर मुहम्म्द साहब ने उन्हे न केवल आजादी से रहने का हक दिया बल्कि उनकी हिफाजत भी सुनिश्चित की। उन्होने चार से अधिक शादी को प्रतिबंधित कर दिया। उनके लिए संपत्ति में अधिकार सुनिश्चित किया। इस्लामी शासन के स्थापित होने के बाद महिलाओं को उच्च पदों पर नियुक्त किया गया। इस्लामी शासन में न केवल महिलाओं ने प्रशासनिक बल्कि सैन्य पदों पर भी काम किया। उनकी भूमिका इस्लामिक राज्य की नीति निर्धारण में भी थी।