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नई दिल्ली
मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इस्लाम में मातृभूमि का मर्तबा के विषय पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन जामिया मिल्लिया इस्लामिया के अरेबिक विभाग के स्कॉलर मुहम्मद जीशान अशरफी ने किया ।
इस मौके पर मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मुदस्सर अशरफी ने कहा कि देश के प्रति प्रेम स्वाभाविक है. एक व्यक्ति वतन से इसलिए भी जुड़ा होता है क्योंकि वह वहां की संस्कृति से जुड़ा होता है। वह यहीं पैदा होता है, यहीं अपनी जवानी बिताता है और इस देश की मिट्टी में दफन हो जाता है।ऐसे में किसी से यह पूछना बेमानी है कि आप अपने देश से प्यार करते हैं या नहीं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि हमें इस देश से प्यार नहीं है, इसलिए हमें ऐसे लोगों पर आश्चर्य होता है। हम यहीं पैदा हुए, यहीं रहे और मरने के बाद भी हमें इसी देश में दफनाया जाएगा। इसलिए हमारी मोहब्बत पर शक नहीं करना चाहिए, बल्कि उन लोगों को अपनी भक्ति की जांच करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पैगंबर सल्ल्लाहू ताला अलैहि वसल्लम की वतन से मोहब्बत के बारे में सुनहरे शब्द इतिहास की किताबों में लिखे हुए हैं। और इसी के सन्दर्भ में मुसलमान अपने वतन से मोहब्बत करना आवश्यक समझता और अपना धार्मिक कर्तव्य समझता है।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि एक मुसलमान इस्लामवादी है और उसका धर्म के प्रति प्रेम है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अपने देश से प्यार नहीं करता है। देश के लिए प्यार और मज़हब के तईं आस्था यह देश के खिलाफ नहीं है। इस्लामवाद देश से नफरत और देश के साथ विश्वासघात नहीं करता है, बल्कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है। जो अपने अनुयायियों को अपने देश से प्रेम करने और उसके प्रति वफादार रहने का हुक्म देता है।
मौलाना ने कहा कि देश मोहब्बत करने का मतलब यह है कि इसके निर्माण और विकास में सक्रिय भागीदारी की की जाए। बेहतर शिक्षा प्राप्त कर समाज को बेहतर बनाएं। देश और देश के खिलाफ कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो कानूनी अपराध हो।