नई दिल्ली, 19, सितम्बर. इस्लाम निभाने ही नहीं बल्कि इस्लाम में जिस सामाजिक क्रांति का ज़िक्र किया गया है, उसकी अनुपालना के लिए भारत सबसे उपयुक्त देश है। भारत में इस्लाम के हर अरकान को किसी बाधा के पूरा किया जा सकता है। इस्लाम में सामाजिक आंदोलने के लिए भारत की भूमि पर किए गए सूफ़ी संतों के प्रयोगों का यहाँ निष्पक्ष समाज ने खुले दिल से स्वागत किया और आज पूरी दुनिया भारत में सूफ़ी इस्लाम के कामयाब प्रयोगों में शांति का मार्ग तलाश रहे हैं। यह बात आज भारत के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इंडिया द्वारा आयोजित वेबिनार ‘विश्व में भारतीय इस्लाम का प्रभाव’ विषय पर बोलते हुए मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी ने कही।
इमाम अहमद रज़ा बरेलवी के विचारधारा का विश्व में व्यापक असर: नईमी
मौलाना मुहम्मद अहमद नईमी ने कहाकि पूरे अरब में आज इस्लाम के नाम पर सिर्फ़ अशांति ही नहीं बल्कि वहाँ किंगडम के नाम पर सत्ताधारी अधिनायकवादियों ने जनता की आवाज़ को नहीं, बल्कि उदार इस्लाम की आवाज़ को भी दबा दिया है। अधिनायकवाद और इस्लाम के नाम पर कट्टर विचारधारा के प्रसार और प्रश्रय ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। आतंकवाद और राजनीतिक संकट की इस घड़ी में अरब के मुसलमान भी भारत की तरफ़ देख रहे हैं क्योंकि भारत में दुनिया का सबसे अधिक मुसलमान अन्य समाजों के साथ शांतिपूर्वक रह रहा है।
नईमी ने भारतीय इस्लाम का वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रभाव को बताते हुए कहा कि आज से डेढ़ सौ साल पहले बरेली से जिस विचारधारा को नई दिशा मिली उसको आज पूरी दुनिया में सराहा जाता है क्युकी इस विचारधारा में प्रतिक्रिया और रेवेंज नहीं बल्कि सहनशीलता और सब्र है. त्याग और क्षमा को महत्त्व दिया गया है यही वजह है कि भारतीय उपमहाद्वीप के साथ साथ अफ्रीका, सेंट्रल एशिया और यूरोप में भी भारतीय इस्लाम को काफी सराहा जाता है क्युकी भारत शांति,सहअस्तित्व और स्वागत की भूमि है
नईमी ने उदाहरण देते हुए युवाओं को समझाया कि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब का घराना यानी हज़रत इमाम हुसैन और 72 घर वालों ने अपने घर मदीना में अशांति के बजाय, शहर छोड़ना उचित समझा। यह शांति स्थापना के लिए अपनी जन्मभूमि और प्राण के बलिदान का इतिहास का सबसे महान् उदाहरण है। हमें इससे सीख लेते हुए देश प्रेम और शांति के प्रयासों की स्थापना के लिए प्रण प्राण से पेश पेश रहना चाहिए।