लखनऊ: देश के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंटस ऑर्गेनाइजेशन उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित रहमते आलम कॉन्फ्रेंस शाह मीना पब्लिक स्कूल, माड़ियावं गांव, जानकीपुरम, लखनऊ में आयोजित किया गया । यह कॉन्फ्रेंस हजरत मौलाना इमरान सफवी साहिब सज्जा नशीन खानकाह महबूबिया शमशादिया की सरपरसती में हुआ। जबकि कॉन्फ्रेंस की अध्यक्षता हजरत मौलाना अबू अशरफ जीशान साहिब ने किया।
मौलाना मजहर अंसारी क़ुरआन पाक की तिलावत और नात पाक पेश किया। और मदरसे के छात्रों ने भी नात पाक के अशआर पेश किये.जबकि खुसूसी खिताब हजरत अल्लामा अमानुल्लाह मिस्बाही ने किया। उन्होंने अमन शांति और हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सीरत तैय्यबा की अहम् बिंदुओं पर रौशनी डाली। उन्होने कहा कि हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी का हर पहलू निराला है और उम्मत के लिए मार्गदर्शन का एक प्रकाशस्तंभ है। इसमें उम्मत के लिए मार्गदर्शन है।
हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए दूध पीने का ज़माना है, लेकिन इतनी कम उम्र में भी, इन्साफ और अदल पसंद है और आप से दूसरों की परवाह करते हैं। हज़रत हलीमा एक तरफ का दूध पीला दूसरी तरफ का पेश करती हैँ तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम इसे स्वीकार नहीं करते क्योंकि यह उनके भाई का अधिकार है जो अभी दूध पीते हैं। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) बचपन से ही सामूहिक कार्यों में इतनी रुचि रखते हैं कि जब बैतुल्लाह शरीफ बन रहा था , तब आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) भी मक्का के कुरैश के साथ पत्थर ढो रहे थे। और शर्म इतनी है कि जब पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के चाचा हज़रत अब्बास ने देखा कि वह अपने नंगे कंधे पर पत्थर ले जा रहे हैं, उन्होंने हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का तहबंद खोल कर आप के कंधे पर रख दिया, इस वजह से हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) शर्म से बेहोश होकर गिर पड़े और कहा, “मेरी चादर मुझ पर डाल दो ।”
हलाल खाने का यह आलम है कि वह कुरैशी की बकरियों को चराते थे और उस से अपनी जरूरतों को पूरा करते थे. और जब बड़े हुए तो तिजारत को पसंद फ़रमाया. समाज के मतभेदों को खत्म करने और उनमें एकता और आम सहमति बनाने की क्षमता इस क़द्र थी कि बैतूल्लाह के निर्माण के समय, कुरैश के विभिन्न पक्षों में हजरे असवद रखने को लेकर मतभेद था और क़रीब था कि वह लोग आपस में लड़ाई शुरू कर देते। लेकिन पैगंबर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक ऐसा निर्णय लिया, जिसकी सभी ने प्रशंसा की और उसी पर सहमति बन गई।
इस कांफ्रेंस में मौलाना इमरान खान जिलाध्यक्ष एमएसओ लखनऊ, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के शेख मुज़म्मिल ने भी ख़िताब किया। एमएसओ इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष साहिल सैफी और लखनऊ सिटी यूनिट के सदस्यों ने भी भाग लिया।
आखिर में मौलाना अबू अशरफ जीशान की दुआ के साथ कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ।