मुल्क के सबसे बड़े मुस्लिम छात्र संगठन एम० एस० ओ० ( मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इण्डिया) के बैनर तले एम० एस० ओ० कौशाम्बी यूनिट, हर माह के आखिरी सनीचर को बज़्मे एहसानी के नाम से नौजवानाने अहले सुन्नत की इस्लाह के लिए एक महफ़िल करती है !
इस बार यानी नवम्बर माह की महफ़िल मंझनपुर के मंसूर नगर मे, जनाब अब्दुल कय्यूम साहब (आलम ट्रेडर्स) के घर पर, 26 नवंबर सनीचर को हुई ! महफ़िल की शुरुआत मौलाना हसनैन अख़्तर मिस्बाही साहब ने अपने बेहतरीन अंदाज़ से किराअत कर के की, फिर ताबिश रज़ा साहब और नसीम अत्तारी साहब ने अपने-अपने मुनफरिद अंदाज में नाते पाक पढ़ कर लोगो का दिल खुश कर दिया !
जिस तरह से हर महफ़िल में MSO और बज़्मे एहसानी का तआरुफ पेश किया जाता है, इस रस्म को कौशाम्बी यूनिट के सदर जनाब हसन एहसानी साहब ने अदा किया और अपने अपने घरों में महफ़िल करने की गुजारिश की !
अल-बरकात अलीगढ़ से तशरीफ़ लाए हुए इस्लामिक स्कॉलर मौलाना साजिद नसीरी साहब ने वअज़ के शुरू में ही कौशाम्बी यूनिट के मेंबरान को मुबारक बाद दी और कहा आपके जज्बे देख कर असहाबे कहफ का वाकिया याद आया जिसमे उस वक्त के नौजवानों ने दीन के फरोग को अपने जिम्मे लिया और बताया की ऐसी महफ़िले जो पूरी-पूरी रात जलसों की शक्ल में होते है उनसे बहुत बेहतर है इस महफिल में आप आएं हैं तो कुछ न कुछ सीख कर ज़रूर जायेंगे ! खिताब फरमाते हुए मौलाना साहब ने अपने मौजू यानी “गौसे आज़म और खिदमते खल्क” पर रोशनी डालते हुए कहा कि, गौसे आज़म पैदाइशी वली थे जिनकी शहादत अल्लाह के मासूम फरिश्ते देते थे, और गौसे आज़म की एक सच बोलने की आदत की वजह से डाकूवों के पूरे ग्रूप ने इस्लाम कुबूल कर लिया था, हम गौसे आज़म के मानने वालों को भी गौसे पाक की कामों और बातों पर अमल करना चाहिए ताकि हमारी दुनिया और अखिरत दोनो संवर जाए !!
आगे बताते हुए कहा कि हमें हर मुसलमान के दर्द को महसूस करना चाहिए क्योंकि हमारे आका ﷺ फरमाते है मोमिन एक जिस्म की मानिंद है चोट किसी भी अज़व को आए दर्द पूरे बदन को होता है !! मतलब मुसलमान दुनिया के किसी कोने में तकलीफ़ मे हो, हमे यहां दर्द होना चाहिए !!
ख़िताब के बाद मौलाना हसनैन अख़्तर मिस्बाही साहब ने बुजुर्गों की रवायत पे अमल करते हुए अल्लाह का ज़िक्र कराया ! फिर सलाम और कौम को दीन पर अमल करने की और मुल्क के अमन व सलामती की दुआ मांगी गई !
दुआ के बाद यूनिट के सदर जनाब हसन एहसानी साहब ने सभी का शुक्रिया अदा किया और नवजवानाने अहलेसुन्नत से हर महफ़िल में शिरक़त की गुजारिश की, महफ़िल में आलम साहब, अमन रज़ा, हाजी निज़ामुद्दीन (समदा), इज़हार भाई (समदा) शमशेर अली (खोराओं) नदीम खान, आसिफ, मुसर्रत अली, मो० क़ासिम, शोएब अख्तर, रफीक़ मास्टर, आदि लोग मौजूद रहे !