नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े छात्र संगठन मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (MSO) ने 4 दिसंबर को नई दिल्ली, भारत में फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता में एक सम्मेलन का आयोजन किया। जिसमे देश भर से फिलिस्तीनी समर्थक शामिल हुए।
इस मौके पर एमएसओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोदस्सिर अशरफी ने फिलिस्तीनी की एतिहासिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि फिलिस्तीन पैगंबरों की भूमि है। इस भूमि का सबंध विश्व के तीन प्रमुख धर्मों से है। जिनमे इस्लाम, ईसाई और यहूदी शामिल है। मुसलमानों के लिए फिलिस्तीन का यरूशलेम सऊदी अरब में मक्का और मदीना के बाद तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। क्योंकि यहाँ पर अल-अक्सा मस्जिद है। क्योंकि मेराज की रात पैगंबर हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) मक्का से यरूशलेम में हरम अल शरीफ की यात्रा “अल-बुराक” से की थी।
वहीं जफरुद्दीन बरकाती (संपादक कंजुल इमान पत्रिका) ने अल अक्सा और फिलिस्तीन के ताजा हालातों के बारे में बताते हुए कहा कि फिलिस्तीन मुसलमानो पर इज़राइल का अत्याचार जारी है। इज़राइली सेना अल अक्सा मस्जिद में बेगुनाह और निहत्थे नमाजियों पर गोली बरसा रही है। इज़राइल के इस अत्याचार पर पूरी दुनिया खामोश है। वहीं पश्चिमी देश इज़राइल को समर्थन देकर इस अत्याचार में भागीदार है। दुनिया में सबसे ज्यादा और गंभीर मानवअधिकारों का उल्लंघन फिलिस्तीन में ही हो रहा है।
इसके अलावा एमएसओ के चेयरमेन शुजात अली कादरी ने कहा कि फिलिस्तीन सिर्फ गज़्ज़ा पट्टी में ही सिमट कर रह गया है। इस्राइल अपनी अवैध बस्तियों के जरिये पूरे फिलिस्तीन की जमीन पर अवैध कब्जा जमा चुका है। फिलिस्तीनी ग्ज्जा पट्टी में एक खुली जेल में घुट रहे है। जहां बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। आए दिन इस्राइल के लड़ाकू विमान वहां बम बरसाते है। जिनसे अस्पताल और स्कूल भी अछूते नहीं है। उन्होने कहा कि दुनिया को विशेषकर भारतवासियों को फिलिस्तीनियों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध मुखर होना होगा।