नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस की संध्या पर मुस्लिम युवाओं की देश की सबसे बड़ी संस्था मुस्लिम स्टूडेंस्ट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एमएसओ) ने ‘संविधान निर्माण में मुस्लिमों की भूमिका’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया। जिसमे देश के विभिन्न हिस्सों से लोग शामिल हुए।
राजधानी दिल्ली से वेबिनार को संबोधित करते हुए इतिहासकार साकिब सलीम ने बताया कि देश के बंटवारे के पश्चात मुसलमान असमंजस की स्थिति में थे। ऐसे में देश की मुस्लिम नेताओं ने आगे बढ़कर उनकी दुविधाओं का समाधान किया। उन्होने बताया कि 14 जुलाई 1947 को जब विभाजन की घोषणा के बाद संविधान सभा का चौथा सत्र शुरू हुआ। तब मुसलमानों की देश के प्रति वफादारी सवालों के घेरे में थी। ऐसे में नजीरुद्दीन अहमद और बी पोकर साहिब बहादुर ने घोषणा की, “इस तथ्य के बारे में किसी भी तरह के संदेह की कोई आवश्यकता नहीं कि हम यहां भारत के वफादार और कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में आए हैं।”
इस दौरान मुसलमानों के लिए भी आरक्षण का सवाल उठा। जिस पर नज़ीरुद्दीन अहमद ने कहा, “वे (आरक्षण) एक प्रकार की हीनता का प्रतीक हैं। वे एक प्रकार के भय परिसर से उत्पन्न होते हैं, और इसका प्रभाव वास्तव में मुसलमानों को वैधानिक अल्पसंख्यक में कम करना होगा। फिर से, मुस्लिम आरक्षण मनोवैज्ञानिक रूप से अलग निर्वाचक मंडल से जुड़ा हुआ है, जिसके कारण बहुत सारी आपदाएँ हुईं।
वहीं पटना के तजामुल हुसैन ने भी तर्क दिया, “हम राष्ट्र में विलय करना चाहते हैं। हम अपने पैरों पर खड़े होना चाहते हैं। हमें किसी का समर्थन नहीं चाहिए। हम कमजोर नहीं हैं। हम मजबूत हैं। हम पहले भारतीय हैं और हम सब भारतीय हैं और भारतीय ही रहेंगे। हम भारत के सम्मान और गौरव के लिए लड़ेंगे और हम इसके लिए मरेंगे। (तालियाँ)। हम एकजुट होकर खड़े रहेंगे। भारतीयों के बीच कोई विभाजन नहीं होगा। संगठन में शक्ति है; अलग होके हम हार जायगे। इसलिए हमें आरक्षण नहीं चाहिए। इसका अर्थ है विभाजन। मैं आज यहां उपस्थित बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों से पूछता हूं:- क्या आप हमें अपने पैरों पर खड़े होने देंगे? क्या आप हमें राष्ट्र का हिस्सा और पार्सल बनने देंगे? क्या हम आपके बराबर के भागीदार होंगे? क्या आप हमें अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने देंगे? क्या आप हमें अपने दुख, शोक और आनंद को साझा करने की अनुमति देंगे? यदि आप ऐसा करते हैं, तो भगवान के लिए अपने हाथों को मुस्लिम समुदाय के लिए आरक्षण से दूर रखें।” वेबिनार के आखिर में संविधान निर्माण से जुड़ी बहस से सबंधित सवाल भी हुए।